Murgi Farm ke bichhawan me kiya upyog kare

मुर्गी फार्म में बिछावन murgi farm ke bichhawan me kiya upyog karen.

मुर्गी फार्म में बिछावन के लिये आप इन वस्तुओं को उपयोग में ले सकते है।

  1. लकड़ी का बुरादा
  2. धान का भूसा (चावल का छिलका )
  3. गेहूं का भूसा ( तूड़ी )
  4. रेत

ध्यान दें

आपके फॉर्म के लिए बेहतरीन विकल्प कौन सा है, जे आपके क्षेत्र और मुर्गी कितने दिन के है इस बात पर निर्भर करता है।

लकड़ी का बुरादा

कारखानों में लकड़ी का बुरादा बहुत आसानी से मिल जाता है। और इसकी कीमत 120 रुपये से 160 रुपये प्रति बोरा होता है।

भारत के अधिकांत क्षेत्रों में, मुर्गी फार्म में बिछावन के लिये, लकड़ी के बुरादे को इस्तिमाल में लिया जाता है।

लकड़ी का बुरादा, one day chicks management, से बड़ी मुर्गी पालन तक अच्छा बिछावन होता है।

ठंडे क्षेत्रों मे मुर्गी फ़ार्मिंग करने वालों के लिये, लकड़ी के बुरादे का बिछावन बहुत उपयोगी है।

Murgi Farm ke bichhawan me kiya upyog kare

फार्म में बुरादे को बिछाने के फायदे

  1. फार्म में लकड़ी के बुरादे को, बिछाने से जमीन की ठंडक से मुर्गी का बचाव हो जाता है।
  2. मुर्गी जब भी बिट (toilet) करती है, लकड़ी का बुरादा तरल को सोख लेता है।
  3. दूसरे बिछावन के मुकाबले, लकड़ी के बुरादे में, अमोनिया गैस कम बनता है।
  4. लकड़ी का बुरादा हल्का होता है, इस लिये इसे साफ करना, और फार्म के अंदर बाहर करना बहुत आसान होता है।
  5. मुर्गी अगर बुरादे को खा भी ले तो, बुरादा नुकसान नही करता।
  6. लकड़ी के बुरादे को लम्बे समय तक इस्तिमाल किया जा सकता है।
  7. बुरादा भीगने के बाद बुरादा जल्दी सुख जाता है।
  8. फार्म के अंदर, लकड़ी के बुरादे का विछावन’ तापमान को मुर्गियों के अनुकूल बनाये रखता है।
  9. लकड़ी के बुरादे में मुर्गियों को नुकसान पहुचने वाले विषाणु पनपने की संभावना बहुत कम होती है।
  10. बुरादे के बिछावन में पपड़ी बनने की संभावना कम होती है।
  11. बुरादे को इस्तिमाल के बाद, खेतों के लिये खाद के रूप में भी इस्तिमाल किया जाता है।
  12. पानी को सोखने की क्षमता बहुत अछि होती है।

फार्म में बुरादे को बिछाने के नुकसान

  1. लकड़ी के बुरादे में किसी प्रकार विषाणु पनप जाने पर, जो मुर्गियों को नुकसान पहुचते है। उन्हें पूरी से खत्म करना मुश्किल होता है।
  2. मुर्गियों के आंखों में जाने का जोखिन बना रहता है।

सावधानियां

  1. कारखाने से बुरादे को इस्तेमाल में लाने से पहले 3 से 4 दिन धूप में अच्छे से सूखा लेने के बाद इस्तिमाल में लाएं।
  2. कभी कभी बुरादे में धागे कील धारदार पदार्थ होते है। इस्तिमाल में लाने से पहले उन चीजों की जांच करें। इस तरह के पदार्थ मुर्गियों के लिये नुकसानदायक होते है।
  3. एक बार लकड़ी के बुरादे को इस्तिमाल में लाने के बाद, दुबारा इस्तिमाल में ना लाएं।
  4. किसी दूसरे के फार्म से बुरादे को न लें। बुरादा हमेशा कारखानों से ले कर आएं।
  5. सड़े हुये बुरादे को इस्तिमाल में न लें।
  6. फार्म में बुरादे को बिछाने के बाद सैनिटाइज़ स्प्रे करें।
  7. नमी वाले बुरादे ( गीले बुरादे ) को फार्म में न बिछाएं

फार्म में धान के भूसे (चावल का छिलका ) का बिछावन

धान का भूसा, धान की खेती में से निकलने वाले भूसे को मुर्गी फार्मिंग में इस्तिमाल किया जाता है। और इसकी कीमत भी बहुत कम होती है।

जिन छेत्रों में धान की खेती अधिक मात्रा में होता है। उन छेत्रों में फार्मर धान के भूसे का इस्तिमाल अधिक करते है।

धान के भूसे को, एक दिन के चूजे और बड़ी मुर्गियों के बिछावन के लिये उपयोग मे लिया जाता है।

ठंडे क्षेत्रों मे मुर्गी फ़ार्मिंग करने वालों के लिये, धान के भूसे का बिछावन बहुत उपयोगी है।

फार्म में धान के भूसे को बिछाने के फायदे

  1. फार्म में धान के भूसे को, बिछाने से जमीन की ठंडक से मुर्गी का बचाव हो जाता है।
  2. धान का भूसा कम लागत मे मुर्गियों के लिय, आरामदायक बिछावन एक अच्छा विकल्प है।
  3. मुर्गियों के आँखों मे जाने का जोखिम नहीं होता।
  4. धान का भूसा, हल्के होने के कारण इसे फार्म के अंदर-बाहर करना बहुत आसान होता है।
  5. मुर्गियों को नुकसान पहुचने वाले विषाणु पनपने का जोखिम कम होता है।
  6. भूसे को खा लेने से मुर्गियों को कोई नुकसान नहीं होता।
  7. सर्दी के मॉसम मे गरम, और गर्मियों मे ठंडा रहता है।
  8. मुर्गी जब भी बिट (toilet) करती है, धान का भूसा तरल को सोख लेता है।

फार्म में धान के भूसे को बिछाने के नुकसान

  1. धान के भूसे मे कुछ समय के बाद पपड़ी बनने लगती है।
  2. कुछ दिन भीगे रहने से ही सड़ने लगता है।
  3. कुछ ही सप्ताहों मे बदलना पड़ता है।

सावधानियां

  1. इस्तेमाल मे लाने से पहले अछे से सूखा लें।
  2. अगर भूसे मे मिटी मिली हो तो छानने मे छान कर फार्म मे डालें।
  3. सड़े हुए भूसे को इस्तेमाल न करें।
  4. पपड़ी बनने लगे तो, भूसे को बदल दें।
  5. मुर्गी फार्म एक बार इस्तेमाल के बाद, भूसे को दुबारा फार्म मे इस्तेमाल न करें।

फार्म में गेहूं के भूसे ( तुड़ी ) का बिछावन

जरूरत पड़ने पर, मुर्गी फार्म मे बिछावन के लिय गेहूं के भूसे को भी इस्तेमाल मे लिया जाता है।

जे बहुत गरम, और वजन मे बहुत हल्का होता है।

ठंडे क्षेत्रों मे इसका इस्तेमाल किया जाता है।

यक दिन के मुर्गी के चूजों से ले कर बड़ी मुर्गियों को गेहूं के भूसे मे रखा जा सकता है।

गेहूं के भूसे ( तुड़ी ) को बिछाने के फायदे

  1. गेहूं का भूसा मुर्गियों को ठंडी से बचाता है।
  2. बहुत हल्का होता है, फार्म के अंदर बाहर करने मे आसान होता है।

फार्म में गेहूं के भूसे ( तुड़ी ) को बिछाने के नुकसान

  1. मुर्गी फार्म मे गेहूं के भूसे का बिछावन करने से अमोनिया गैस बनने का जोखिम अधिक होता है।
  2. गेहूं के भूसे मे पानी को सोखने की क्षमता बहुत कम होती है।
  3. मुर्गियाँ बीमार होने का जोखिम राहत है।
  4. बहुत जल्दी गंदा हो जाता है।

सावधानियां

  1. गेहूं का भूसा चिपचिपा होने पर तुरंत भूसे को बदलें।
  2. हल्की सी भी बदबू आने पर भूसे को बदलें।

मुर्गी फार्म में रेत का बिछावन

मुर्गी फार्म मे रेत को बिछाना उन स्थानों पर बहुत फायदेमंद होता है। जिन स्थानों मे बहुत गर्मी पड़ती है।

फार्म मे रेत बिछाने से फार्म ठंडा रहता है।

मुर्गी फार्म में रेत को बिछाने के फायदे

  1. मुर्गियाँ गर्मियों मे खुद को ठंडा रख सकती है। रेत को खुद के ऊपर डाल कर
  2. चालनी से रेत को साफ करना बहुत आसान होता है।
  3. रेत को लंबे समय तक इस्तेमाल मे लिया जा सकता है।
  4. मुर्गियों को नुकसान पहुचाने वाले विषाणु को आसानी से रेत मे मारा जा सकता है।

फार्म में रेत को बिछाने के नुकसान

  1. सर्दी के मॉसम मे रेत का उपयोग, मुर्गियों को नुकसान पहुचा सकता है।
  2. रेत गंदा होने पर, बदलने मे अछि खासी रकम खर्च करनी पड़ सकती है।

सावधानियां

  1. मिटी वाले रेत ठोस हो जाते है, ईस लिय साफ-सूत्रे रेत का उपयोग करे।
  2. ठंडे क्षेत्रों मे रेत का पयोग न करे।
  3. मुर्गी के चूजे 7-8 दिन के होने पर ही रेत मे रखें।
  4. चालनी से रेत को साफ करते रहे।
  5. दूसरा लोड डालने से पहले कीटनाशक का छिड़काव करें।

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