Sonali Murgi ( सोनाली मुर्गी )

 सोनाली मुर्गी इतनी प्रचलित क्यों है?

Sonali Murgi rang Birangi Hoti Hai
Sonali murgi

Sonali murgi:  जल्दी बड़ी होने वाली एक क्रोस बर्ड्स है। जिसकी रोगप्रतिरोधक शक्ति बॉयलर से कही ज्यादा होती है। सोनाली मुर्गी को अंडे और मास दोनों के लिये पाला जाता है।

सोनाली मुर्गी की सम्पूर्ण जानकारी

  1. सोनाली मुर्गी का जन्म कब और कैसे हुआ
  2. सोनाली मुर्गी कितने प्रकार की होती है।
  3. सोनाली मुर्गी की पहचान कैसे करें।
  4. सोनाली मुर्गी कितने दिन में बड़ी हो जाती है।
  5. सोनाली मुर्गी कितने दिन में अंडे देती है और कितने अंडे देती है
  6. सोनाली मुर्गी क्या खाती है और किसमे कितनी ग्रोथ होती है।
  7. सोनाली मुर्गी फार्म कैसे शुरू करें।
  8. सोनाली मुर्गी चूज़े कैसे पालें
  9. सोनाली मुर्गी को बीमार होने से कैसे बचा सकते है।
  10. सोनाली मुर्गी फ्री रेंज में कैसे पालें
  11. सोनाली मुर्गी फार्म में कितना मुनाफ़ा है।
  12. इंडियन हैचरी आपकी  किस तरह से मदत कर सकता है
  13. आपके सवालों के जबाब

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Sonali Murgi Ka Janm kab Or Kaise huya. सोनाली मुर्गी का जन्म कब और कैसे हुआ।

सोनाली मुर्गी का जन्म:  बांग्लादेश में हुआ था। सन 1997 में जब सफरअली नामक एक किसान ने ऑस्टिलिन मुर्गी और वर्धिराज मुर्गी को एक साथ रखने से।

उनके अंडे से निकले चूज़े बहुत ही तेज़ी से बड़े हो रहे है। सफरअली ने बँग्लादेसी एक रिपोटर को 2004 में बताया जिसका एक आर्टिकल भी छपा था।

सफरअली:  हमने देखा ऑस्टिलिन मुर्गी और वर्धिराज मुर्गी के क्रोस से निकले बच्चों की ग्रोथ बहुत ज्यादा थी।  20 से 22 दिन में वो 500 से 700 ग्राम के हो गए थे। 

देखने मे देसी मुर्गी की तरह मगर पेर लंबे और मोटे थे रंग बिरंगे बिल्कुल देसी मुर्गी लेकिन ग्रोथ में बॉयलर की तरह हो रही थी।

लेकिन उनमे एक समसियां हो गई। कोई भी उन चूज़ों में से 40 दिन से ज्यादा जिंदा नही रह सका। 25 दिन के बाद से सभी एक एक कर मारने लगे।

और 40 दिन तक सभी मुर्गी मर गए। हमने जाना कि इन मुर्गीयों में रोगपतिरोधक शक्ति बहुत कम है। बॉयलर से भी कम।

हमने फिर से चूज़े निकाले और इस वार हमने इन मुर्गीयों को एक बॉयलर मुर्गी की तरह से पाला 55 से 60 दिन में एक किलो से 1200 से ग्राम हो चुकी थी।

जे देख गांव के लोग उन मुर्गीयों को सोने का अंडा देने वाली मुर्गी कहने लगे।

जो बाद में सोनाली के नाम से पहचाने जाने लगा।

हमने कोशिश की इनके अंडे से चूज़े निकालने की लिकिन एक और समसियां थी 6 महीने से ज्यादा होने पर भी जे मुर्गियां अंडे नही दे रही थी।

दिन प्रति दिन एक एक मर रहे थे। हमने पाया कि इनकी रोगप्रतिरोधक शक्ति बहुत कम थी।

आप कह सकते है। बॉयलर मुर्गी से भी कम। तब हमने

नई नस्ल सोनाली कहे जाने वाले मुर्गे को वर्धिराज मुर्गी के साथ क्रोस कराया। 

और उनसे हुए मुर्गी के चूज़ों की ग्रोथ पहले से थोड़ी कम थी। लेकिन रोगप्रतिरोधन शक्ति ज्यादा थी।

और इस मुर्गी ने 4.5 से 5 महीने में अंडे देने शुरू कर दिया था। जो बहुत ही बड़ी बात थी।

सफरअली:  नई मुर्गी का जन्म हुआ था जो सोनाली मुर्गी के नाम से पहचाने जाने लगा। अंडे बहुत ज्यादा मात्रा में दे रही थी। जिसके कारण नई मुर्गी कुड़क पर नही बैठ रही थी। ( सोनाली मुर्गी अपने अंडों से चूज़े नही निकालती ) यही कारण था कि सोनाली मुर्गी साल में 280 से 290 अंडे दे रही थी।

Indian hatchery:  आज कल पाले जाने वाली सोनाली मुर्गी की तुलना अगर सन 2005 से करें। तो इनमें बहुत सारे बदलाव आए है। 

जैसे पहले की सोनाली मुर्गी 70 से 75 दिन में 1200 ग्राम से 1500 ग्राम  की होजाती थी। जो आज घट कर 900 से 1100 ग्राम हो गई है।

पहले सोनाली मुर्गीयों में रोगप्रतिरोधक शक्ति कम थी। आज के मुर्गीयों की बहुत अच्छी है। 

सन 2005 की मुर्गीयों के पैर मोटे और लंबे थे आज 25% से 30% की कम हो गया है।

2005 सोनाली मुर्गी 0% कुड़क के लक्षण नज़र आते थे। आज कल की मुर्गियां 7% से 9% मुर्गीयों में 2 से 4 दिन लक्षण नजर आते है।

सोनाली मुर्गी जब विकसित हुई थी तब 280 से 290 अंडे  देती थी। जो आज घट कर 250 से 270 हो गई है

सोनाली मुर्गी जन्म से बड़े होने तक मृत्यु दर पहले 18% से 25% दर्ज किया गया जो आज 2% से 5% है।

पहले की मुर्गीयों के अंडे का औसतन वज़न 70 ग्राम था आज 55 ग्राम है। 

इंडियन हैचरी:  सोनाली मुर्गी को बेहतर बनाने के लिये कई सारे पर्योग किये गए।

जिस से किसान ज्यादा मुनाफा कर सके। हाला की पहले की Sonali Murgi बहुत ज्यादा अंडे देती थी और जल्दी बड़ी हो जाती थी। मगर किसान पहले की सोनाली मुर्गी से ज्यादा मुनाफा नही कर सकते थे। जिसके कारण मृत्यु दर का ज्यादा हो जाना था। लेकिन समय के बदलने से इन मुर्गीयों पर कई सारे साइंटिफिक प्रयोग किये गए। जो आज आप सोनाली मुर्गी को देख रहे है या पाल रहे है। इनमे मृत्यु दर कम है। जिसके कारण किसान मुनाफे की और जाता है।

Sonali Murgi: सोनाली मुर्गी में कई बार बदलाब किया गया है। जिसके के बहुत सारे कारण है।

जैसे

इसकी रोगपतिरोधक शक्ति को बढ़ाने के लिये। 

पैर को छोटा और पतला करने के लिये।

इसके पंख को चमकीला करने के लिये।

जल्दी बड़ा करने के लिये।

ज्यादा अंडा उत्पादन के लिये।

फुर्तीली और देसी की तरह देखने के लिये।

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Sonali murgi kitne kism ki hoti hai.? सोनाली मुर्गी कितने किस्म की होती है।

सोनाली मुर्गी की किस्म: सोनाली मुर्गी को और बेहतर बनाने के लिये कई बार इनमे बदलाव किये गए है। जिसमे से तीन किस्म प्रमुख है। 

sonali murgi rang birangi hoti hai
sonali murgi multiple color

सोनाली EH

सोनाली LH

 सोनाली MH

इन तीनो किस्मो में ज्यादा अंतर नही है। और इनको और कई नाम से भी जाना जाता है। इन तीनो किस्मो में अलग अलग गुण है

सोनाली EH:  शोर्ट फॉर्म नाम है जिसका अर्थ सोनाली अंडे देने वाली मुर्गी से है। 

यह मुर्गी LH और सोनाली MH से ज्यादा अंडे देती है। ( One Day Sonali ) एक दिन के सोनाली चूज़ों में अंतर समझ पाना संभव नही। बड़े होने पर सोनाली EH मुर्गी को पहचान सकते है। सोनाली EH मुर्गी के लेग के नीचे की और पंख निकले होते है। पीछे और छाती चौड़ी होती है।

सोनाली LH:  इस नस्ल में आप देखेंगे इनके पैर छोटे और पतले है। EH और सोनाली MH से।

जिसके चलते कई फार्मर इन नस्ल की फार्मिंग करना पसंद करते है। मगर इस किस्म की मुर्गी की ग्रोथ कम होती है। 

इनमे से कुछ मुर्गीयों में 2-3 दिन के लिये कुड़क होती है। 

जीसके चलते अंडे में कमी हो जाती है।

सोनाली MH: किस्म की मुर्गी जल्दी बड़ी होती है। पहचान लंबे मोटे पैर, पंजे, नाखून, बड़े होते है।

अक्सर इन मुर्गीयों में फाइट देखने को मिलती है और कभी कभी तो एक दूसरे के पंख को नोच भी देती है।

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Sonali murgi ki pahchan kaise karein.  सोनाली मुर्गी की पहचान कैसे करें।

Sonali Murgi Ki pahchan: सोनाली मुर्गी की पहचान पंख और पैर को देख कर बड़ी ही सकते है।

सोनाली मुर्गी के पंख की पहचान: एक दिन के चूज़े को धयान से देखने पर पायंगे की उनके बाल खड़े-नुमा है। जैसे बॉयलर चूज़े के होते है।

सोनाली मुर्गी के पैर: मोटे और लंबे होते है। देसी मुर्गी की तुलना में। 

पंख: सोनाली मुर्गी बड़ी होने पर भी पंख नही चमकते। लेकिन मुर्गे के चमकते है। 

पेट: सोनाली मुर्गी का पेट मोटा होता है, सामने के मुकाबले पीछे भर ज्यादा होता है। मुर्गे चौड़ाई कम लंबाई में ज्यादा होते है।

अंडे वाली मुर्गी: सोनाली मुर्गी कभी अंडों से चूज़े नही निकालती।

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सोनाली मुर्गी कितने दिन में बड़ी हो जाती है।

मुर्गी कितनी जल्दी बड़ी होगी जे मुर्गी के फ़ीड पर आधारित होता है। 

अगर मुर्गी को बाजार का फ़ीड खिलाते है।

पहले दिन से प्री स्टार्टर 12 दिन तक

और 12 दिन से 50 दिन स्टार्टर फ़ीड

और 50 दिन से 70 दिन तक ग्रोवर फ़ीड खिलाते है

EH का वजन 1000 से 1100 ग्राम

LH का वजन 900 से 1000 ग्राम

 MH का वजन 1050 से 1150 ग्राम हो जाता है।

इन आंकड़ों में अंतर हो सकता है। अगर मुर्गी बीमार होती है याँ बीमारी से बचाने के लिये। दवाइयों का ज्यादा प्रयोग मुर्गी की ग्रोथ को रोक देता है। 

आगर मुर्गी को फ्री रेंज में पाला जाता है। याँ देसी फ़ीड खिलाया जाता है तो मुर्गी की ग्रोथ में 25%  से 40% की कमी हो जाती है। 

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Sonali murgi kitne din me ande deti hai. 
सोनाली मुर्गी कितने दिन में अंडे देती है।

Sonali murgi: सोनाली मुर्गी अंडे कब देगी वो उनके फ़ीड पर निर्भर करता है। 

अगर मुर्गी को देसी फ़ीड दे कर बडा कर रहे है। जिसमे गेहूं, चावल, मकई, बाजरा, आदि शामिल है। तो इन हालात में मुर्गी 170 से 190 दिन के बीच मे अंडे देती है।

अगर बाजार का लेयर फ़ीड दे कर मुर्गी को बड़ा करते है। तो इन हालात में मुर्गी 140 से 155 दिन में ही अंडे देने शुरू कर देती है।

सोनाली मुर्गी साल में 270 से 280  तक अंडे दे सकती है।

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 Sonali murgi kya khaati hai. सोलानी मुर्गी क्या खाती है।

देसी मुर्गी की तरह सोनाली मुर्गी भी। हर कुछ कह लेती है। जिसमे अनाज़, खास, सब्जी, कीड़े, आदि शामिल है।

Sonali murgi:  फ्री रेंज में सोनाली मुर्गी को पाला जा सकता है। जे उनके लिये बेहतर विकल्प होता है जो अपने घरों में 10-15 सोनाली मुर्गी पालते है। क्योंकि सोनाली मुर्गी घूम कर खाना ढूंढ कर अपना पेट भर सकती है

लिकिन अगर आप सोनाली मुर्गी की फार्मिंग करना चाहते है। तो आप बाज़ार का फ़ीड ही खिलाएँ फ्री रेंज में मुर्गीयों की इतनी अच्छी ग्रोथ नही होती जितनी होनी चाहिये।

एक फार्मर तभी मनाफ़ा कर सकता है जब वह बाज़ार का फ़ीड खिलता है। 

सोनाली मुर्गी पालन मुनाफ़े को समझे:  देसी फ़ीड जिसमे मकई, बाजरा, गेहूं, धान, चावल, घास, सब्जी, आदि शामिल करने से सोनाली मुर्गी को बड़ा होने में 100 से 110 दिन का समय लगता है। याँ उससे भी ज्यादा का समय लग सकता है। 

मुर्गी को 1 Kg से अधिक का होने में।

जिससे मुर्गिया दान 5 से 7 kg खा जाती है।

110 दिन मुर्गी पालन में कई सारी समसयाओ का सामना भी करना पड़ता है। जिसमे कई मुर्गियां मर भी जाति है।

जो फार्मर के लिये नुकसानदायक होता है।

वही अगर मार्किट का फ़ीड मुर्गिया खाती है।

1 Kg से ज्यादा होने में

3 से 3.5 kg फ़ीड खाती है। 

जो 70 से 75 दिन दिन का समय लेती है। कम दिन मुर्गी पालन जिसमे कम बीमारी और कम मुर्गियां मरती है।

और फार्मर को कम समय मे ज्यादा मुनाफा होता है।

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सोनाली मुर्गी फार्म कैसे शुरू करें।

फार्म शुरू करने से पहले। आपको सोनाली मुर्गी की कुछ जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिये।

सोनाली मुर्गी आपके बाज़ार में किस कीमत पर बिकती है।

सोनाली चूज़े कहा से खरीदें।

एक दिन के चिक्स की देखरेख कैसे करें।

मुर्गी को लगने वाली बीमारियों का इलाज कैसे करें।

अपने फार्म को किस तरह का बनाए

आपके फार्म में कितने मुर्गी पालने की क्षमता है।

 कौनसी वैक्सीन किउं और कब देनी होती है।

सोनाली मुर्गी आपके बाज़ार में किस कीमत पर बिकती है।

फार्मिंग करने से पहले । अपने लोकल बाज़ार में मुर्गी मार्किट का पता करें।

सोनाली मुर्गी किस कीमत मे सेल कर सकते है। जिस से आपको आसानी होगी मुर्गी पालन शुरू करने में लगने वाली लागत कितना आता है। (2)

जिस से आप को पता चलता है सोनाली मुर्गी पालन में कितना मनाफ़ा है।

सोनाली चूज़े कहा से खरीदें?

सोनाली मुर्गी चिक्स आपको किसी हैचरी से ही लेना चाहिये। ना कि किसी फार्मर से।

कीसी फार्मर से चूज़े लेने से आपको नुकसान हो सकता है। जैसे विचोला कमीशन खा सकता है।

जिस से चूज़े आपको महंगे पड़ सकते है।

और फार्मर आपको फ़ास्ट वैक्सीन के बिना ही चूज़े दे सकता है।

हमेशा आपको किसी अच्छे हैचरी से ही चीक्स लेना चाहिये। जो पहली वैक्सीन कर के देती है।

और मुर्गी पालन और उनके बीमारियों से बचना की सलाह देती हो।

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एक दिन के चिक्स की देखरेख कैसे करें।

chuke ko ki dekh rakh kaise kare
murgi ke chuje

एक दिन के चूज़े जिसे One Day Chicks कहते है।

चूज़े फार्म में लाने से पहले आपको कुछ समान को ला कर रखना होता है।

पेपर

लकड़ी का बुरादा

गुड़

मल्टीविटामिन

लिवर टॉनिक

ड्रिंकर

प्री स्टार्टर फीड

थर्मामीटर 

चूजे फार्म में लाने से पहले फार्म की साफसफाई कर लकड़ी का बुरादा बिछा दें।

पेपर को ऊपर से बिछाएं।

चूज़े को पेपर के ऊपर रखा जाता है।

जिस से लकड़ी का बुरादा चूज़े की आंख, मुह, नाक, में नही जाता।

और पेपर के नीचे कालड़ी का बुरादा इस लिये दिया जाता है। कि चूज़े का तापमान को स्थिर रखा जा सके।

चूज़े को पेपर मे रखने के बाद सबसे पहले। 

आपको चूज़े को गुड़ वाला पानी ड्रिंकर में पीने के लिये देना होता है।

जो 4 से 6 घंटे तक रखें।

गुड़ वाला पानी चूज़े के पेट मे जमा प्रोटीन को जल्दी बाहर निकाल देता है।

गुड़ वाले पानी के बाद 4 से 5 दिन सिर्फ सुबह मल्टीवितमन और शाम को लिवर टॉनिक ही दें। 

5 दिन तक अगर चूज़े स्वस्त है। तो किसी भी तरह की एंटीबायोटिक का प्रयोग ना करें।

एंटीबायोटिक चूज़े के विकास ( ग्रोथ ) को रोकता है।

5 दिन से पहले चूजे बीमार है, याँ कोई विष्णु ( वायरस )

से संक्रमित है। तभी किसी एंटीबायोटिक का प्रयोग करें।

पहले दिन फीड को पेपर के ऊपर छिड़का देना होता है।

जिस से चूज़े फीड खाना जल्दी सिख जाते है।

और साथ मे फ़ीड में भी फीड खाने को दें।

दो दिन के बाद सिर्फ फीडर में फीड खाने के लिये दें।

दो दिन तक चूज़े फीड खाना सिख जाते है।  तब आपको पेपर में फीड देने की जरूरत नही होती।

तापमान का आपको पहले दिन से विशेष ध्यान रखना होता है।

33℃ से 35℃ के बीच तापमान को रखने से चूज़े स्वस्त और तंदरुस्त रहते है।

रूम का तापमान को मापने के लिये आप थर्मामीटर का प्रयोग कर सकते है।

तापमान कम याँ ज्यादा चूज़े के विकास को रोक देता है।

अगर आपके पास थर्मामीटर नही है। तो सही तापमान को आप कुछ बातों का ध्यान रख कर जान सकते है।

अगर चूज़े एक जगह जमा हो कर एक दूसरे के ऊपर चहड़ने लगे तो आपको समझ लेना है कि तापमान को बढ़ाने की जरूरत है। ध्यान दें चूज़े एक साथ बैठना पसंद करते है। अगर तापमान सही है। तो चूज़े एक दूसरे के साथ चिपक कर बैठते है। और तापमान की कमी होने पर एक दूसरे के ऊपर चहड़ने लगते है।

तापमान ज्यादा होता है तो चूज़े एक दूसरे से दूर बैठते है। और कुछ देर में ही मुह खोल कर सास लेने लग जाते है। जो चूज़े के लिये सही नही होता।

इस तरह से आप चूजे को 5 से 7 दिन तक पालन होता है। 

चूज़े पालने में अगर आप असमर्थ हो रहे है याँ और कोई जानकारी चाहते है तो आप नीचे कमेंट कर सकते है।

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सोनाली मुर्गी को बीमार होने से कैसे बचा सकते है।

murgi ko bimar hone se kaise bcha skte hai

मुर्गी बीमार होने का सबसे बड़ा कारण फार्म में गीली जगह और साफ सफाई ना होने से होती है।

हमेशा फार्म के जमीन को सूखा रखे।

और साफसफाई का विशेष ध्यान रखें।

मुर्गी को बीमार होने से बचाने के लिये मुर्गी के रोगपतिरोधक शक्ति को बढ़ाने की जरूरत होती है जिसके लिये पोस्टिक दाना ( फीड ) देना बहुत जरूरी होता है।

अगर आप अपनी मुर्गी को देसी फीड खिलाते है। तो कोशिश करे। अनाज की जितनी ज्यादा किस्म दे सकते है उतनी किस्म दें।

उधारण: अगर आप दाने में गेहूं देते है। तो सिर्फ गेहूं न दें एक गेहूं देते है तो अगले दिन मकई, उसके अगले दिन बाजरा, फिर चावल,घास, दाल, आदि।

बदलते रहे जिस से मुर्गी को सम्पूर्ण पोस्टिक आहार मिल सके, किसी भी एक अनाज में  सभी तरह के मिनरल और विटामिन नही होते।

अनाज बदलने से ज्यादा संभावना होती है कि मुर्गी की सारी मिनरल और विटामिन पूरी होने की।

और रोगपतिरोधक शक्ति बढ़ जाने की

अगर आप मुर्गी को बाजार का दाना देते है तो वो आपके लिये बेहतर विकल्प होगा।

किउंकि बाज़ार के फीड में मुर्गीयों के लिये पोष्टिक पदार्थ मौजूद होते है।

मुर्गी के रोगपतिरोधक शक्ति बढ़ाने के लिये आप दवाइयों का इस्तिमाल भी कर सकते है।

Lixen Powder

tetracycline

Immune booster

इस तरह के और कई सारे दवाईयाँ बाजार में मौजूद है जो मुर्गी को बीमारी से बचाने के लिये कारगर है।

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सोनाली मुर्गी फ्री रेंज में कैसे पालें

Free range murgi palan:  फ्री रेंज मुर्गी पालन में सबसे पहले आपके पास ऐसी जगह का होना बहुत जरूरी है जिसमे मुर्गीयों को खाने के लिये। घास कीड़े भरपूर मात्रा में उपलब्ध हो।

फ्री रेंज में मुर्गी पालन में कई सारी समसयाओं का सामना करना पड़ सकता है। 

जंगली जानवर, पंछी, मुर्गी को नुकसान पहुचा सकते है।

इस लिये मुर्गियों के सुरक्षा का प्रबंध जरूर करें।

फ्री रेंज मुर्गी पालन फायदे और नुकसान।

फ्री रेंज मुर्गी पालन में सबसे बड़ा फायदा फ़ीड की लागत कम जाना होता है।

और मुर्गियां भी कम बीमार पड़ती है।

फ्री रेंज मुर्गी पालन में नुकसान की बात करें। तो बाजार के फीड के मुकाबले मुर्गी की ग्रोथ 35% से 40% तक कम होती है।

जानी मान सकते है जो सोनाली 70 दिन में बड़ी हो जाती है । फ्री रेंज में 110 से 120 दिन का समय लेगी।

फ्री रेंज में जंगली जानवर अक्सर नुकसान कर देते है। और कुछ मुर्गियां शाम को वापस नही आती।

जे सब फ्री रेंज में मुर्गी पालन करने वालो को नुकसान सहना पड़ता है।

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सोनाली मुर्गी फार्म में कितना मुनाफ़ा है।

Murgi farm free range farming
Murgi farm

हर किसान के मन मे स्वाल होता है। मुर्गी पालन में कितना मुनाफ़ा है।

अगर आप मुर्गी पालन की जानकारी रखते है। और सही से मुर्गी पालन करते है। 50 हज़ार की लागत की मुर्गी को 1 लाख से 1 लाख 10 हज़ार की मुर्गी को बेच सकते है।

और इस सवाल का सही जबाब आपको खुद ढूंढा पड़ेगा किउंकि सोनाली मुर्गी हर जगह अलग कीमत पर बिकती है। 

जिसके लिये आपको सबसे पहले मुर्गी बाज़ार में मुर्गी किस कीमत पर आप बेच सकते  है।

पता करें।

चूज़े की कीमत पता करें।

छोटे से मुर्गी बड़ी होने तक खर्चे का पता करें। जिसके लिये आपको पहले से प्लान करना होता है कि मुर्गी को आप कोनसा दाना खिलाते है।

बाजार का दाना याँ घर का दाना दोनों में अलग अलग खर्चे है।

जैसा कि आप जानते है बाजार का दाना महंगा मिलता है मगर मुर्गियां जल्दी बड़ी हो जाती है। जो 1 कोलो होने तक 3 से 3.5 किलो दाना खा लेगी।

वही घर का दाना 5 से 6 किलो खायगी। इसमें अंतर भी हो सकता है। वो आपके दाने में मुर्गीयों के लिये कितना पोस्टिक है उस पर निर्भर करता है।

अब हिसाब करें आप मुर्गी कितने कीमत में बेच सकते है। और आपकी मुर्गी एक किलो होने में कितना दाना खा लेगी। साथ मे चूज़े की कीमत और दवाइयों का जोड़े 3%से 5% मुर्गी बड़े होने तक मर जाती है। 

उसे भी लागत में जोड़े।

अब आप हिसाब कर सकते है कि मुर्गी पालन में कितना मनाफ़ा होता है।

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इंडियन हैचरी आपकी  किस तरह से मदत कर सकता है।

Indian Hatchery:  आपको मुर्गी पालन बत्तख़ पालन की सभी जानकारी देता है।

और साथ ही कम कीमत में मुर्गी और बत्तख़ के बच्चे भी उप्लब्ध करवाता है।

अगर आपके  वो जानकारी नही मिली जिसकी आप तलाश कर रहे है तो कमेंट करें।

हम जल्द ही आपके सवालों के जबाब देंगे।

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sonali murgi swalon ke jabab

Q1 :  सोनाली मुर्गी कितने दिन में बड़ी हो जाती है?

Ans : सोनाली मुर्गी 70 से 75 दिन में बड़ी हो जाती है।

Q2 : सोनाली मुर्गी कितना दाना खा कर बड़ी होती है?

Ans : बाजार का दाना 3 से 3.5 किलो दान खा कर 1 किलो की हो जाती है।

Q3 : सोनाली मुर्गी कितने दिन में अंडे देती है?

Ans : 150 दिन से 160 दिन।

Q4 : सोनाली चूजे की कीमत क्या होती है?

Ans : 18 से 20 रुपये।

Q5 : सोनाली मुर्गी साल में कितने अंडे देती है?

Ans : 270 से 290।

Q6 : सोनाली मुर्गी की कीमत क्या है?

Ans : 250 से 300 रुपये किलो।

Q7 : सोनाली मुर्गी का रंग क्या होता है?

Ans : रंग बिरंगे काले, लाल, सफेद, भूरे रंग के होते है।

Q8 : सोनाली मुर्गी क्या खाती है?

Ans : अनाज़, कीड़े, घास इति इत्यादि।

Q9 : क्या सोनाली मुर्गी अपने अंडे से चूजे निकलती है?

Ans : नही।

Q10 : सोनाली मुर्गी में कितना मुनाफ़ा है?

Ans : लागत का 70% से 90% ।

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